बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए एक नायब तहसीलदार को 50 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह रिश्वत एक किसान से उसकी मां की मृत्यु के बाद जमीन के फौती रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने के लिए मांगी गई थी। आरोपी अधिकारी ने इस कार्य के बदले 1 लाख 50 हजार रुपए की डिमांड की थी, जिसमें से पहली किस्त के रूप में 50 हजार रुपए लेते ही ACB ने उसे दबोच लिया। मामला सीपत तहसील का है।
किसान से मांगी थी 1.5 लाख की रिश्वत
जानकारी के मुताबिक, ग्राम बिटकुला निवासी किसान प्रवीण पाटनवार ने 30 अक्टूबर को ACB दफ्तर में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने बताया कि उसकी माता का कुछ समय पहले निधन हो गया था, और उनके नाम पर ग्राम बिटकुला में करीब 21 एकड़ कृषि भूमि दर्ज है। इस जमीन में फौती दर्ज कराकर अपने और अपने भाई-बहनों के नाम रिकॉर्ड में शामिल कराने के लिए वह सीपत तहसील कार्यालय गया था। वहां उसकी मुलाकात नायब तहसीलदार देश कुमार कुर्रे से हुई। किसान का आरोप है कि नायब तहसीलदार ने फौती दर्ज करने के लिए 1 लाख 50 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की। किसान ने इस पर हामी न भरते हुए ACB से संपर्क किया और पूरी योजना बताई।
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ACB ने की शिकायत की पुष्टि
ACB के डीएसपी ने बताया कि शिकायत प्राप्त होने के बाद टीम ने प्राथमिक सत्यापन कराया। जांच में किसान द्वारा लगाए गए आरोप सही पाए गए। इस दौरान किसान और आरोपी नायब तहसीलदार के बीच दोबारा बातचीत कराई गई, जिसमें आरोपी ने रिश्वत की राशि घटाकर 1 लाख 20 हजार रुपए में काम करने की सहमति दी। इसके बाद ACB ने एक जाल बिछाने की योजना बनाई। किसान को निर्देश दिया गया कि वह आरोपी को पहली किस्त 50 हजार रुपए देने के बहाने बुलाए, ताकि टीम मौके पर पकड़ सके।
एनटीपीसी कॉफी हाउस में हुई गिरफ्तारी
योजना के तहत सोमवार दोपहर नायब तहसीलदार देश कुमार कुर्रे ने किसान प्रवीण पाटनवार को एनटीपीसी स्थित कॉफी हाउस बुलाया। जैसे ही किसान ने उसे 50 हजार रुपए सौंपे, पहले से सतर्क ACB की टीम ने घटनास्थल पर दबिश दी और आरोपी अधिकारी को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। ACB टीम ने मौके से रिश्वत की राशि बरामद की और करेंसी नोटों को रासायनिक जांच (फिनॉल्फ्थेलीन टेस्ट) से सत्यापित किया गया, जो पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद आरोपी को हिरासत में लेकर आगे की कार्रवाई शुरू की गई।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज
ACB ने आरोपी नायब तहसीलदार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत अपराध दर्ज किया है। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को न्यायिक रिमांड पर भेजने की तैयारी की जा रही है। डीएसपी (ACB) ने बताया कि प्रारंभिक जांच में आरोपी के खिलाफ रिश्वत मांगने और लेने के पुख्ता सबूत मिले हैं। इसके अलावा उसके आर्थिक लेन-देन और संपत्ति की जांच भी की जाएगी। यदि आय से अधिक संपत्ति के साक्ष्य मिले तो अलग से मामला दर्ज किया जाएगा।
अधिकारी वर्ग में हड़कंप
इस कार्रवाई के बाद बिलासपुर और आसपास के राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया है। सीपत तहसील कार्यालय के अन्य अधिकारी भी पूछताछ के दायरे में आ सकते हैं। ACB की टीम अब यह जांच भी कर रही है कि क्या इस तरह की रिश्वतखोरी की प्रथा वहां पहले से चल रही थी या यह कोई अकेला मामला है।
किसान बोला – “इंसाफ मिला, अब डर नहीं”
किसान प्रवीण पाटनवार ने मीडिया से कहा कि वह पिछले कई महीनों से तहसील के चक्कर काट रहा था, लेकिन जब उसने पैसे देने से इनकार किया, तो उसका काम जानबूझकर रोका गया। “मैंने सोचा अब डरने से बेहतर है कि सच के साथ खड़ा रहूं। आज मुझे न्याय मिला,” उसने कहा।
ACB का बयान – भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस
ACB के अधिकारियों ने बयान जारी कर कहा है कि छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के मामलों पर ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत कार्रवाई जारी रहेगी। किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा रिश्वत मांगने या लेने की जानकारी सार्वजनिक हेल्पलाइन या ACB कार्यालय में दी जा सकती है।



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