बेमेतरा टेकेश्वर दुबे : कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी रणबीर शर्मा ने जिले के समस्त कृषकों से अपील की है कि वे रबी फसलों की तैयारी के दौरान पराली जलाने से परहेज करें तथा सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए वैकल्पिक उपायों को अपनाएँ। उन्होंने कहा कि बेमेतरा एक कृषि प्रधान जिला है, जहाँ जिले की 80 प्रतिशत से भी अधिक जनसंख्या कृषि कार्य पर निर्भर है। खरीफ के कुल 2.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 2.05 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है, वहीं 1.73 लाख हेक्टेयर में रबी फसलें ली जाती हैं।
कलेक्टर श्री शर्मा ने बताया कि खरीफ फसल की कटाई के बाद खेतों में बची हुई पराली को जलाने की परंपरा पर्यावरण, स्वास्थ्य और भूमि की उर्वरता के लिए अत्यंत हानिकारक सिद्ध हो रही है। पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे सांस, आंख और त्वचा संबंधी गंभीर बीमारियाँ फैलती हैं। साथ ही, इससे मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अगली फसल की उत्पादकता प्रभावित होती है। कलेक्टर ने किसानों से आग्रह किया कि वे पराली प्रबंधन के लिए निम्न वैकल्पिक उपायों को अपनाएँ जैसे पराली को खेत में दबाना: मिट्टी पलटने वाले हल से पराली को खेत में ही दबाकर खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। डी-कंपोजर का प्रयोग: डी-कंपोजर का उपयोग कर पराली को सड़ाकर जैविक खाद में बदला जा सकता है। मशीनों का उपयोग: हैप्पी सीडर और सुपर सीडर जैसे उपकरण पराली को हटाकर बुवाई भी कर सकते हैं और उसे जमीन के नीचे दबा भी सकते हैं। अन्य उपयोग: पराली को गोशालाओं को दान किया जा सकता है या बायो-गैस संयंत्र एवं थर्मल प्लांट में उपयोग हेतु एग्रीगेटर्स को बेचा जा सकता है।
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कलेक्टर शर्मा ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा भी किसानों को “जलाने” की बजाय इन-सिटू (मिट्टी में मिला देना) एवं एक्स-सिटू (बाहर उपयोग करना) पद्धतियाँ अपनाने की अनुशंसा की गई है। इसके तहत किसान उपलब्ध मशीनरी व जैविक उत्पादों का उपयोग कर पराली का प्रभावी प्रबंधन कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार द्वारा पराली प्रबंधन हेतु विभिन्न अनुदान योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। अतः किसान इन योजनाओं का लाभ उठाएँ और पर्यावरण संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ।
कलेक्टर रणबीर शर्मा ने अंत में कहा आइए, हम सब मिलकर स्वच्छ हवा, उपजाऊ भूमि और स्वस्थ समाज की दिशा में कदम बढ़ाएँ। पराली न जलाएँ, पर्यावरण बचाएँ — किसान का मान बढ़ाएँ | उन्होंने बेमेतरा जिले के सभी किसानों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि यह कदम जिले के सतत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।



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