खैरागढ़ : नगर पालिका परिषद खैरागढ़ में हुई दुकान नीलामी अब घोटाले का रूप ले चुकी है. इस पूरे प्रकरण में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और मिलीभगत का आरोप लगाते हुए विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने अब सीधे नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग रायपुर के अवर सचिव को लिखित शिकायत सौंपी है. उन्होंने मांग की है कि नीलामी प्रक्रिया तत्काल निरस्त कर दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए.
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64 लाख से अधिक का नुकसान, दरें आधी कर ‘अपनों’ को दी गई दुकानें
शिकायत में मनराखन देवांगन ने विस्तार से बताया है कि वर्ष 2023 में नगर पालिका द्वारा जिन दुकानों की नीलामी ऊंची दरों पर संपन्न हुई थी, उन्हीं दुकानों की नीलामी 2025 में उन्हीं पुराने बोलीकर्ताओं. विजय ठाकुर, संतोष यादव, मनीष अग्रवाल और रमाकांत साहू को दोबारा बेहद कम दरों पर कर दी गई. इस हेरफेर से नगर पालिका को करीब ₹64 लाख 77 हजार रुपए का सीधा आर्थिक नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि यह कोई प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि “पूर्व नियोजित आर्थिक अपराध” है.

नियमों के तहत पहली बोली रद्द होने पर द्वितीय बोलीकर्ता को अवसर दिया जाना चाहिए था, लेकिन नगर पालिका के अधिकारियों ने नियमों को तोड़कर अपने पसंदीदा लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया. शिकायत पत्र में विधायक प्रतिनिधि ने कहा है कि नगर पालिका की इस मनमानी से सार्वजनिक संपत्ति को सस्ते में बेचा गया है, जो भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है. उन्होंने नगरीय प्रशासन विभाग रायपुर के अवर सचिव से आग्रह किया है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और जब तक जांच पूरी न हो, तब तक नीलामी प्रक्रिया को निरस्त रखा जाए.
नेता प्रतिपक्ष का तंज “नगर पालिका बन गई है निजी कंपनी”
नगर पालिका परिषद खैरागढ़ के नेता प्रतिपक्ष दीपक देवांगन ने इसे जनधन से खिलवाड़ बताते हुए कहा “नपा अब जनसेवा नहीं, अपने लोगों की सेवा कर रही है. दुकानों की नीलामी में जनता का पैसा गंवाकर कुछ खास लोगों की जेब भरी गई है. अगर शासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो हम सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे.”
इस घोटाले की शिकायत अवर सचिव तक पहुंचने के बाद खैरागढ़ की राजनीति में हलचल मच गई है. नगरवासी अब पूछ रहे हैं. आखिर इतने बड़े राजस्व नुकसान की जिम्मेदारी कौन लेगा? इसमामले पर नगर पालिका की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है.



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