बेमेतरा में छत्तीसगढ़ बाँस तीर्थ संकल्पना समारोह भव्यता के साथ सम्पन्न

बेमेतरा टेकेश्वर दुबे:- बेमेतरा जिले के ग्राम कठिया में आज एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब छत्तीसगढ़ बांस तीर्थ संकल्पना सम्मलेन कार्यक्रम के तहत भारत का सबसे बड़ा और 140 फीट ऊँचा बम्बू टावर समर्पित “छत्तीसगढ़ बाँस तीर्थ संकल्पना समारोह” का भव्य आयोजन हुआ। यह आयोजन न केवल बेमेतरा बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय बना। इस भव्य समारोह में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव तथा कैबिनेट मंत्री श्री दयालदास बघेल की विशेष उपस्थिति रही ।

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मुख्यमंत्री ने किया ध्वजारोहण, दिया विकास और पर्यावरण संरक्षण का संदेश
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने 140 फीट ऊँचे बम्बू टावर पर तिरंगा फहराते हुए कहा कि यह संरचना केवल बाँस का निर्माण नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की परंपरा, कौशल, नवाचार और व्यापक संभावनाओं का प्रतीक है। उन्होंने बाँस का पौधा रोपण कर पर्यावरण संरक्षण तथा बाँस आधारित कृषि के प्रसार की अपील की। मुख्यमंत्री ने समारोह स्थल पर स्थापित बाँस उत्पाद निर्माण इकाइयों, फैक्ट्रियों और प्रोसेसिंग केंद्रों का अवलोकन किया तथा ग्रामीणों और कारीगरों से संवाद कर उनकी आजीविका के बारे में विस्तार से जानकारी ली।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ आज विकास, नवाचार और संरचनात्मक प्रगति के नए आयाम रच रहा है। विश्व का सबसे ऊँचा बैंबू टावर बनाकर राज्य ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित की है। यह टावर हमारे राज्य के कौशल, कारीगरी और सामर्थ्य का अद्वितीय प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बाँस आधारित उद्योग— ग्रामीण अर्थव्यवस्था, हस्तशिल्प, एग्रो–इंडस्ट्री और आधुनिक निर्माण तकनीक—इन सभी क्षेत्रों में अपार संभावनाएँ पैदा कर रहे हैं। सरकार किसानों, कारीगरों और युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की योजनाएँ लागू कर रही है।

उपमुख्यमंत्री अरुण साव: “बाँस—कम पानी में अधिक लाभ देने वाली फसल”
अपने उद्बोधन में उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि बदलते जलवायु और जलसंकट की स्थिति में बाँस की खेती किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प बनकर उभर रही है। उन्होंने बताया जैसे कि बाँस कम पानी में तेजी से बढ़ता है। मिट्टी कटाव रोकता है और हरियाली बढ़ाता है। जल संतुलन बनाए रखने में अत्यंत उपयोगी है। बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बेमेतरा जिला पिछले वर्षों में पानी की कमी से जूझता रहा है, ऐसे में पारंपरिक फसलों के साथ बाँस को अपनाकर किसान अपनी आय को दोगुना तक बढ़ा सकते हैं। बाँस आधारित उद्योग युवाओं के लिए व्यापक रोजगार अवसरों का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।

कैबिनेट मंत्री दयालदास बघेल: “बाँस—जल संरक्षण और ग्रामीण आय दोनों का समाधान
कैबिनेट मंत्री श्री दयालदास बघेल ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के भ्रमण के दौरान बाँस आधारित उद्योगों और कुटीर इकाइयों का पूरा अवलोकन किया गया, जिसमें यह पाया गया कि बाँस की खेती और उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो सकते हैं, उन्होंने कहा कि बेमेतरा जिले में जलसंकट एक बड़ी चुनौती है, ऐसे में धान के विकल्प के रूप में बाँस की खेती अपनाना किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक होगा। कम पानी में होने वाली यह फसल जल संरक्षण के साथ बड़े पैमाने पर स्थानीय रोजगार भी उत्पन्न करती है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे बाँस की खेती की ओर अग्रसर हों, जिससे उनकी आय बढ़ेगी और बेमेतरा का ग्रामीण तंत्र और अधिक मजबूत होगा।

कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की विशाल उपस्थिति
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री अरुण साव, कैबिनेट मंत्री दयालदास बघेल, बेमेतरा विधायक दीपेश साहू, कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा, एसएसपी रामकृष्ण साहू, रजककार विकास बोर्ड के अध्यक्ष प्रहलाद रजक, जिलाध्यक्ष अजय साहू, महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री पाशा पटेल, पूर्व विधायक अवधेश चंदेल , राजेंद्र शर्मा सहित बड़ी संख्या में किसान, सरपंच, जनप्रतिनिधि और ग्रामीण उपस्थित रहे।









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