स्टडी में  हुआ बड़ा खुलासा,हाई BP दिल ही नहीं, दिमाग पर भी डालता है गहरा असर

स्टडी में हुआ बड़ा खुलासा,हाई BP दिल ही नहीं, दिमाग पर भी डालता है गहरा असर

 हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन को अक्सर दिल की बीमारियों से जोड़ा जाता है, लेकिन एक नए अध्ययन ने यह साफ कर दिया है कि इसका असर दिल से कहीं आगे, सीधे मस्तिष्क तक पहुंचता है- वो भी बहुत पहले, जितना अब तक माना गया था। यह स्टडी बताती है कि क्यों हाई ब्लड प्रेशर को अल्जाइमर जैसे बौद्धिक विकारों का बड़ा कारण माना जाता है।

मस्तिष्क पर असर शुरुआत में ही क्यों?

वेइल कॉर्नेल मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पाया कि हाइपरटेंशन मस्तिष्क की कोशिकाओं में बेहद शुरुआती बदलाव शुरू कर देता है। ये बदलाव जीन अभिव्यक्ति यानी जीन एक्सप्रेशन के स्तर पर होते हैं- जो यह नियंत्रित करता है कि कोशिकाएं कैसे काम करेंगी। जब ये जीन असामान्य तरीके से सक्रिय होने लगते हैं, तो सोचने, सीखने और याद रखने की क्षमता प्रभावित होने लगती है।यही वजह है कि जिन लोगों का ब्लड प्रेशर लंबे समय तक बढ़ा रहता है, उनमें सामान्य लोगों की तुलना में बौद्धिक विकारों का खतरा लगभग 1.2 से 1.5 गुना बढ़ जाता है।

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केवल तीन दिन में दिखने लगे बदलाव

अध्ययन का नेतृत्व करने वाले डॉ. एंथनी पचोल्को की टीम ने एक दिलचस्प तथ्य सामने रखा- हाइपरटेंशन की शुरुआत के सिर्फ तीन दिन बाद ही मस्तिष्क की महत्वपूर्ण कोशिकाएं नुकसान के संकेत देने लगती हैं।शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क पर इसके असर को तीन चरणों में परखा-

  1. ब्लड प्रेशर बढ़ने से पहले
  2. तीन दिन बाद
  3. 42 दिन बाद

तीसरे ही दिन तीन प्रमुख तरह की कोशिकाओं में जीन अभिव्यक्ति बदलने लगी। ये वही कोशिकाएं हैं जो मस्तिष्क को सक्रिय रखती हैं, सूचनाओं को प्रोसेस करती हैं और बौद्धिक क्षमता को संभालती हैं।

ब्लड-ब्रेन बैरियर भी होने लगा कमजोर

अध्ययन में एक और चिंता वाली बात सामने आई- रक्त-मस्तिष्क अवरोध (Blood-Brain Barrier) भी शुरुआती दिनों में कमजोर होने लगता है। यह अवरोध एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है और हानिकारक कणों को मस्तिष्क तक पहुंचने से रोकता है। इसके कमजोर होते ही न सिर्फ कोशिकाएं तनाव में आती हैं, बल्कि दीर्घकाल में गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी जन्म ले सकती हैं।

इंटरन्यूरॉन पर सबसे ज्यादा चोट

शोध में पाया गया कि हाइपरटेंशन खासकर इंटरन्यूरॉन नाम की कोशिकाओं को प्रभावित करता है। यही कोशिकाएं मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों को आपस में जोड़कर एक टीम की तरह काम करने में मदद करती हैं। इनके क्षतिग्रस्त होने पर मस्तिष्क की गतिविधियां धीमी होने लगती हैं- यह वही बदलाव हैं जो अल्जाइमर जैसे रोगों में देखे जाते हैं।

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भविष्य में नई दवाओं की उम्मीद

इस शोध की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे भविष्य में ऐसी दवाएं विकसित करने का रास्ता खुल सकता है, जो सिर्फ ब्लड प्रेशर को नियंत्रित न करें बल्कि मस्तिष्क को शुरुआती क्षति से भी बचाएं। यानी सिर्फ हार्ट ही नहीं, ओवरऑल मेंटल हेल्थ को सुरक्षित रखने में भी मदद मिल सकेगी।

यह अध्ययन हमें एक बेहद स्पष्ट संदेश देता है कि हाइपरटेंशन को हल्के में न लें। यह सिर्फ एक संख्या नहीं है, बल्कि मस्तिष्क की सेहत से जुड़ा एक महत्वपूर्ण संकेत है। रक्तचाप जितनी जल्दी नियंत्रण में रखा जाए, मस्तिष्क उतना ही लंबे समय तक स्वस्थ रह सकता है।









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