दत्तक पुत्रो को प्रशासन ने राष्ट्पति तक नहीं पहुंचने दिया,पण्डो जनजाति में आक्रोश

दत्तक पुत्रो को प्रशासन ने राष्ट्पति तक नहीं पहुंचने दिया,पण्डो जनजाति में आक्रोश

सरगुजा : छत्तीसगढ़ प्रदेश के सरगुजा जिले में 20 नवंबर दिन गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची जिन्हें जानने सुनने सरगुजा जिले के रियाया देखने सुनने निश्चित स्थान पर पहुंचने लगी। अफसोस कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष आरक्षित पहाड़ी पण्डो जनजाति के लोगों को जिला प्रशासन ने बीच रास्ते में ही रोक दिया।जिस जनजाति से रूबरू होने देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति सरगुजा पहुंची थीं, उसी जनजाति के लोगों को उनसे मिलने नहीं दिया गया विशेष आरक्षित पड़ो जनजाति के लोग अपने राष्ट्पति से मिलने के लिए तरस गए।

जिले के लखनपुर विकासखंड के ग्राम परसोडीकला में निवासरत पण्डो जनजाति के लोगों में अपने देश के राष्ट्रपति से मिलने स्वागत करने की दिली ख्वाहिश थी यह तमन्ना उनकी अधूरी रह गई ।राष्ट्रपति से मिलने अंबिकापुर के गांधी मैदान पहुंचने के लिए निकले थे। लेकिन जैसे ही उनकी गाड़ियां सिंगीटाना क्षेत्र के चेकपोस्ट के पास पहुंची, जिला-प्रशासन के अधिकारियों ने उन्हें आगे जाने से रोक दिया और वापस लौटने को कहा।

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रोके जाने के बाद पण्डो समाज के लोग चेकपोस्ट से करीब 100 मीटर पीछे सड़क किनारे धरने पर बैठ गए और अपने राष्ट्रपति से मुलाकात की गुहार लगाने लगे।
लोगों का कहना था कि “राष्ट्रपति माँ हमारी ही बेटी हैं, उन्होंने हमें गोद लिया है, हम अपनी पीड़ा उनसे कहना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने हमारे इच्छाओं का गला घोट कर हमें अपमानित किया है।”

ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि दरअसल, एसईसीएल प्रबंधन की अमेरा खुली खदान कोल माइंस प्रोजेक्ट का लगातार विरोध ग्रामीणो द्वारा करने के कारण प्रशासन ने जान बूझकर उन्हें कार्यक्रम स्थल तक नहीं पहुंचने दिया। जिससे प्रबंधन की सच्चाई बेनकाब न हो जाए। पड़ो जनजाति का कहना था कि राष्ट्रपति जी खास तौर पर हम पण्डो जनजाति से मिलने सरगुजा आई थीं, लेकिन हमें ही उनसे मिलने नहीं दिया गया।

घंटों इंतजार के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो आक्रोशित ग्रामीण मायूस होकर बैरंग अपने गांव वापस लौट गए। इस घटना से पण्डो समाज में भारी रोष है और समाज के लोग इसे अपनी बेटी का अपमान बता रहे हैं।बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने परसोडीकला गांव को गोद लिया हुआ है और पहले भी वहां की समस्याओं को सुनने का आश्वासन दिया था। ग्रामीणों का कहना है कि खदान के कारण उनका गांव विस्थापन के कगार पर है और वे यही पीड़ा राष्ट्रपति तक पहुंचाना चाहते थे।आरोप चाहे कुछ भी हो हकीकत तो यह है कि दतक पुत्र कहे जाने वाले इन पड़ो समुदाय को देश के राष्ट्रपति तक प्रशासन ने नहीं पहुंचने दिया।









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