कोंडागांव : जिले के जिला मुख्यालय से लगे नारंगी नदी में अवैध रेत उत्खनन का मामला फिर सुर्खियों में है। स्थानीय लोग लगातार शिकायत कर रहे हैं कि नदी के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर रेत निकाली जा रही है, जिससे नदी की संरचना प्रभावित हो रही है और कई जगह तट कटाव का खतरा बढ़ गया है। किसानों ने भी रेत उत्खनन की बढ़ती गतिविधियों पर गहरी चिंता जताई है, उनका कहना है कि कटाव के कारण खेतों के किनारे कमजोर हो रहे हैं और सिंचाई व्यवस्थाओं पर भी असर पड़ने लगा है।नारंगी नदी ही नहीं, बल्कि भवरडिग नदी के आसपास भी अवैध उत्खनन की गतिविधियाँ सामने आई हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि माकड़ी पुल, जुगानी पुल, चिचाड़ी पुल, पासंगी पुल और बरकई पुल के आसपास कई दिनों से रेत निकाला जा रहा है।
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - पूर्व मुखिया के पुराग्रह वाले दंभी बोल
ग्रामीणों के अनुसार, पुलों के बेहद नजदीक मशीनों और ट्रैक्टरों द्वारा रेत निकाले जाने से पुलों की नींव कमजोर होने और संरचनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका पैदा हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि जिला मुख्यालय से महज दो किलोमीटर दूरी पर इतनी बड़ी मात्रा में रेत निकाले जाने के बावजूद प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है। आरोप है कि कई ट्रैक्टर बिना रोकटोक नदी से रेत निकालकर ले जा रहे हैं। मसोरा क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने स्वयं दो दर्जन से अधिक ट्रैक्टरों को रेत भरकर जाते हुए देखा है। मामले की जानकारी मिलते ही कुछ मीडियाकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे। पत्रकारों के वहां पहुंचते ही रेत ले जा रहे वाहन चालक मशीनें और ट्रैक्टर छोड़कर मौके से भाग निकले। इससे अवैध उत्खनन की आशंका और भी मजबूत हुई है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार शिकायतों के बावजूद संबंधित विभाग मौके का निरीक्षण नहीं कर रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की अनदेखी के कारण अवैध रेत माफिया और अधिक सक्रिय हो गए हैं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो नदी के तट, कृषि भूमि और पुल जैसी महत्वपूर्ण संरचनाएं गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल जांच कर जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि अवैध उत्खनन को रोकने के लिए चौकसी बढ़ाई जाए, नदी किनारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और दोषियों पर कानूनी कार्रवाई कर क्षेत्र में व्यवस्था बहाल की जाए। जल संरचनाओं और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव को देखते हुए स्थानीय जनता उम्मीद कर रही है कि प्रशासन जल्द कदम उठाएगा और इस अवैध गतिविधि पर काबू पाया जाएगा।



Comments