बिहार : बिहार चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने दिल्ली में समीक्षा बैठक की, जिसमें मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और राजेश राम समेत कई नेता शामिल हुए. बैठक का उद्देश्य हार के कारणों पर चर्चा करना, नेताओं की राय सुनना और आगे की रणनीति तय करना था.
यह बैठक पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में हुई, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी भी मौजूद थे. लेकिन यह बैठक सिर्फ राजनीतिक समीक्षा तक सीमित नहीं रही, इसमें कई ऐसी घटनाएं हुईं जिनसे यह साफ दिखा कि कांग्रेस संगठन के भीतर संवाद, समन्वय और नेतृत्व को लेकर असहजता मौजूद है.बंद कमरे में हुई बैठक की अंदरखाने की खबर कुछ छनकर बाहर भी आई है जो काफी दिलचस्प है.
बैठक शुरू होने से ठीक पहले, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पास पहुंचे. वो अपना लिखित इस्तीफा ले गए थे. बैठक शुरू होने से ठीक पहले राजेश राम ने खड़गे से कहा, सर, पार्टी की बुरी हालत के लिए मैं नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं. इसके बाद जेब से निकाला गया इस्तीफा पत्र उन्होंने खरगे को थमा दिया. खरगे स्तब्ध रह गए पर मुस्कुराते हुए कहा, नहीं, इसे राहुल जी को दीजिए. फिर राजेश राम ने वही किया. राहुल गांधी के के सामने पहुंचे तो उन्होंने पत्र पढ़ा और बोले, अभी रख लीजिए, बाद में देखेंगे. दरअसल बिहार चुनाव में हार से राजेश राम आहत थे और मीटिंग में इस हार की रिपोर्ट करना उनके लिए कष्टदायक था.
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - पूर्व मुखिया के पुराग्रह वाले दंभी बोल
राहुल गांधी ने जब समीक्षा शुरू की तो उन्होंने प्रभारी कृष्णा अल्लावरू से कहा- जो जीते हुए विधायक हैं, उन्हें अंदर बुलाइए. इस पर अल्लावरू ने धीमी आवाज में कहा- सर… छह ही विधायक हैं और सब यहीं बैठे हैं. बताया जाता है कि कमरे में मौजूद कई नेता एक-दूसरे की ओर देखते रह गए. राहुल गांधी को शायद यह अंदाजा नहीं था कि बिहार में कांग्रेस सिर्फ छह सीटों पर सिमट गई है और वह भी महागठबंधन का हिस्सा रहते हुए. इसके साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि जब चर्चा आगे बढ़ी 2010 की तुलना में कांग्रेस की जीत को बड़ा बताया गया और कहा गया कि तब 4 जीती थी और अब 6 जीते हैं, यानी हमारा प्रदर्शन पिछली तुलना में बेहतर है.
बैठक शुरू होने से पहले दो बड़े नेता-वैशाली से इंजीनियर संजीव और पूर्णिया से जितेंद्र यादव के बीच विवाद की खबर भी सामने आई. चर्चा के दौरान इंजीनियर संजीव ने कहा कि नए चेहरों को टिकट देना बड़ी गलती थी. इस पर जितेंद्र यादव भड़क गए और दोनों के बीच तीखी बहस हुई. बात धमकी तक पहुंचने की भी चर्चा है, जिसे वहां मौजूद नेताओं ने बीच-बचाव कर शांत कराया. हालांकि, बाद में कांग्रेस नेताओं ने किसी भी तरह के विवाद से इनकार किया.
ये भी पढ़े : अक्षय को कचरा समझते थे फिल्ममेकर्स,इस फिल्म से किया जोरदार कमबैक
बैठक खत्म होने के बाद आधिकारिक बयान में कहा गया कि संगठन में सुधार, बूथ स्तर पर मजबूती और भविष्य की रणनीति पर काम होगा. लेकिन अंदरखाने की कहानी यह बताती है कि कांग्रेस अभी भी यह तय नहीं कर पा रही कि हार की जिम्मेदारी किसकी है और आगे की दिशा क्या होगी-अकेले लड़ने की, या गठबंधन की राजनीति जारी रखने की. बैठक से निकला सबसे बड़ा संकेत यह है कि बिहार कांग्रेस संगठनात्मक असमंजस और नेतृत्विक भ्रम के बीच खड़ी है.
बैठक भले औपचारिक रूप से समाप्त हो गई, लेकिन कांग्रेस के भीतर सवाल अब और मजबूत हो चुके हैं- नेतृत्व किसके हाथ में है, रणनीति क्या है और भविष्य गठबंधन के साथ होगा या अकेले? राजेश राम का इस्तीफा अभी टेबल पर भले रोक दिया गया हो, लेकिन राजनीतिक संकेत साफ है-बिहार कांग्रेस सिर्फ चुनाव नहीं हारी, बल्कि दिशा, संवाद और आत्मविश्वास भी खो चुकी है. आने वाले दिनों में ये सवाल तय करेंगे कि कांग्रेस पुनर्गठन की ओर बढ़ेगी या फिर धीरे-धीरे हाशिये पर जाती हुई पार्टी बनकर रह जाएगी?



Comments