भारत सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव करते हुए ऐलान किया है कि देश के सभी राज्यों में अब 'राजभवन' को आधिकारिक रूप से 'लोकभवन' कहा जाएगा. गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद यह नाम परिवर्तन तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है.
अब तक बदले गए नामों में छिपा संदेश
पिछले एक दशक में केंद्र सरकार की तरफ से कई अहम जगहों और रोड के नाम बदले गए हैं. ये कदम इस विचार को मजबूती देता है कि शासन सिर्फ पद या शक्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि जनता की सेवा का जरिया है. सरकार का मानना है कि नाम बदलने का ये सिलसिला सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि प्रशासनिक सोच में आए बदलाव का सूचक है.
1. रेस कोर्स रोड अब लोक कल्याण मार्ग
प्रधानमंत्री का आवास का पुराना नाम 'रेस कोर्स रोड' था. 2016 में इसे 'लोक कल्याण मार्ग' नाम मिला, जो सत्ता के नहीं, बल्कि जनता के कल्याण को तरजीह देने वाली सोच को बयां करता है.
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2. राजपथ बना कर्तव्य पथ
इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक का रास्ता 'राजपथ' कभी सत्ता और राजसी ताकत का प्रतीक माना जाता था. इसे 'कर्तव्य पथ' नाम देने से ये संदेश दिया गया कि शासन का केंद्र बिंदु अधिकार नहीं, बल्कि राष्ट्र को लेकर जिम्मेदारी है.
3. सेंट्रल सेक्रेटेरियट बना कर्तव्य भवन
देश का अहम एडमिनिस्ट्रेटिव स्ट्रक्चर, जिसे पहले 'सेंट्रल सेक्रेटेरियट' 'केंद्रीय सचिवालय' कहा जाता था, अब 'कर्तव्य भवन' कहलाएगा. इससे ये क्लियर किया गया है कि सरकारी पद सम्मान का प्रतीक नहीं, बल्कि कर्तव्य के पालन करने का जरिया है.
4. नई PMO इमारत यानी 'सेवा तीर्थ'
पीएम ऑफिस के नए कैंपस को 'सेवा तीर्थ' नाम दिया गया है. ये इस बात का प्रतीक है कि शासन का केंद्र अब सेवा, समर्पण और जिम्मेदारी वाली जगह है.
लोकभवन: प्रशासन की नई सोच
'राजभवन' का नाम बदलकर 'लोकभवन' करना इस दिशा में एक और बड़ा कदम है. ये बदलाव इस बात को दिखाता है कि शासन की हर संरचना में जनता सबसे अहम है. प्रतीकात्मक दिखने वाले ये परिवर्तन लोकतांत्रिक व्यवस्था के मूल विचार- सेवा, जिम्मेदारी और पारदर्शिता को मजबूत करते हैं.
गुजरात और महाराष्ट्र में नए नाम लागू
गुजरात और महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत (Acharya Devvrat) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर शेयर किया कि अब 'गुजरात राजभवन' को 'गुजरात लोकभवन' के नाम से जाना जाएगा.



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