एससीईआरटी कर रहा बदलावों की तैयारी : छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में अब 9वीं कक्षा में पढ़ाई जाएंगी NCERT की किताबें

एससीईआरटी कर रहा बदलावों की तैयारी : छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में अब 9वीं कक्षा में पढ़ाई जाएंगी NCERT की किताबें

रायपुर: राज्य के स्कूलों में शिक्षा के स्तर को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में सरकार ने महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। अगले शैक्षणिक सत्र से प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों की नवमीं कक्षा में एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) की गणित और विज्ञान की किताबें पढ़ाई जाएगी।इस संबंध में स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीइआरटी) ने तैयारियां तेज कर दी हैं।

सूत्रों के अनुसार आगामी शैक्षणिक सत्र से पहले पहली से नवमीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम की व्यापक समीक्षा की जा रही है। एससीईआरटी की विशेषज्ञ टीम अलग-अलग विषयों की पुस्तकों में आवश्यक संशोधन, सुधार और स्थानीय संदर्भ जोड़ने पर काम कर रही है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पाठ्य सामग्रियों को ऐसा स्वरूप दिया जा रहा है, जिससे बच्चों को विषयों की अवधारणाएं सरलता से समझ आए और वे अपने परिवेश से बेहतर तरीके से जुड़ सकें।

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राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धी

नई नीति के तहत नवमीं कक्षा के लिए एनसीईआरटी की किताबों को अपनाने का उद्देश्य छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए तैयार करना भी है। परिषद का मानना है कि विज्ञान और गणित जैसे विषयों में विद्यार्थियों की नींव मजबूत होने से आगे की कक्षाओं में उनका प्रदर्शन बेहतर होगा। साथ ही एनसीईआरटी की सामग्री देशभर में एकरूपता लाती है, जिससे शिक्षार्थियों को विषय की मानकीकृत जानकारी मिलती है।

स्थानीय तथ्य भी रहेंगे शामिल

एससीईआरटी ने स्पष्ट किया है कि एनसीईआरटी की किताबें अपनाने के बावजूद राज्य से जुड़े स्थानीय तथ्य, इतिहास, भौगोलिक परिस्थितियां और सांस्कृतिक विशेषताएं पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा रहेंगी। किताबों के अध्यायों में व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की विशेषताओं को शामिल किया जाएगा, ताकि बच्चे अपने परिवेश की समझ के साथ पढ़ाई कर सकें। शैक्षणिक सत्र से पहले अंतिम मसौदे को तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है।

विभागीय समीक्षा बैठकों में पुस्तकों की भाषा, प्रस्तुतीकरण, अभ्यास प्रश्नों और चित्रों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बताया गया कि जिन किताबों में अधिक संशोधन की आवश्यकता है, उन्हें पूरी तरह नए स्वरूप में तैयार किया जाएगा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नई पुस्तकों के लागू होने के बाद शिक्षकों के लिए ओरिएंटेशन और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, ताकि वे नए पाठ्यक्रम की शिक्षण पद्धति को बेहतर तरीके से समझ सकें।









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