कर्म घोंघा जलप्रपात - प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक विरासत से सजा उभरता पर्यटन केंद्र

कर्म घोंघा जलप्रपात - प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक विरासत से सजा उभरता पर्यटन केंद्र

एमसीबी : प्राकृतिक खूबसूरती, शांत वातावरण और धार्मिक आस्था का अनोखा मेल लिए कर्म घोंघा जलप्रपात जिले का एक प्रमुख आकर्षण बनता जा रहा है। हंसिया नदी का लगभग 100 फीट ऊँचाई से गिरता जलप्रपात अपनी कल-कल ध्वनि और मनभावन फुहारों के साथ पर्यटकों का मन मोह लेता है। आसपास घने वन, ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ और वर्षा ऋतु में जलप्रवाह का भव्य रूप इसे एक अद्वितीय प्राकृतिक धरोहर बनाता है।

आस्था और प्रकृति का संगम
कर्मघोंघा जलप्रपात के समीप स्थित कर्मघोघेश्वर धाम इस क्षेत्र की आध्यात्मिक महत्ता को और बढ़ाता है। मार्च 1986 में कटनी (म.प्र.) के कैलाश नारायण श्रीवास्तव द्वारा निर्मित यह मंदिर परिसर तीन सुंदर मंदिरों से मिलकर बना है। मध्य मंदिर में विराजमान भगवान शिव, बायीं ओर हनुमान जी और दाहिनी ओर मां दुर्गा की प्रतिमा यहाँ आने वाले भक्तों को अद्भुत शांति का अनुभव कराती है। महाशिवरात्रि पर न केवल जिले से बल्कि पड़ोसी अनूपपुर (म.प्र.) से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ पहुंचते हैं।

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी -पक्ष -विपक्ष मस्त,छत्तीसगढ़िया पस्त है 

पर्यटन विकास की आवश्यकता
पर्यटन/पुरातत्व अधिकारी डॉ. विनोद पांडेय बताते हैं कि यह पूरा क्षेत्र प्राकृतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। पक्की सड़क बनने के बाद यहाँ पर्यटकों की आवाजाही तेजी से बढ़ी है, जिससे इसे एक संगठित पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की आवश्यकता स्पष्ट होती है।

(1) स्थानीय रोजगार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार, महिलाओं के लिए स्वरोजगार, दुकानों और गाइड सेवाओं जैसी गतिविधियों में वृद्धि हो सकती है।

(2) जिले के पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान
कर्मघोंघा जैसा रमणीय स्थल विकसित होने पर मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला पूरे प्रदेश के पर्यटन परिदृश्य में एक उभरते केंद्र के रूप में पहचाना जाएगा।

(3) प्राकृतिक संरक्षण को नई दिशा
संगठित पर्यटन विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण और जिम्मेदार पर्यटन की संस्कृति भी मजबूत होगी।

पर्यटन विकास के लिए आवश्यक कदम
1. बुनियादी सुविधाएँ- सुरक्षित पाथवे और व्यू-पॉइंट, संकेतक बोर्ड व सूचना केंद्र, पेयजल, स्वच्छ शौचालय और बैठने की व्यवस्था, पर्याप्त पार्किंग स्थल
2. सुरक्षा प्रबंधन-रेलिंग और बैरिकेडिंग, प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति, CCTV कैमरे, आपातकालीन सहायता केंद्र
3. पर्यटन आकर्षण का विस्तार-साहसिक गतिविधियां-ट्रेकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, नेचर वॉक, पकनिक जोन का सुव्यवस्थित विकास, फोटो और सेल्फी पॉइंट, बच्चों के लिए मनोरंजन स्थल
4. सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा-शिवरात्रि महोत्सव का व्यापक आयोजन, स्थानीय लोककला, हस्तशिल्प और व्यंजन को प्रोत्साहन
5. प्रचार-प्रसार और डिजिटल मार्केटिंग-स्थल का आधिकारिक वेब पेज, सोशल मीडिया प्रमोशन, पर्यटन विभाग द्वारा वीडियो डॉक्यूमेंट्री
पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी आवश्यक- स्थल को संरक्षित रखना भी उतना ही आवश्यक है जितना उसका विकास। प्लास्टिक-मुक्त क्षेत्र की घोषणा, कचरा प्रबंधन वन और जल स्रोतों के संरक्षण जैसी व्यवस्था पर्यटन को टिकाऊ बनाएँगी।

प्राकृतिक सौंदर्य को विश्वसनीय पहचान देने का समय- कर्म घोंघा जलप्रपात सिर्फ एक पिकनिक स्पॉट नहीं, बल्कि प्रकृति, संस्कृति और अध्यात्म का परिपूर्ण संगम है। योजनाबद्ध प्रयासों के साथ यह निश्चित रूप से जिले का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल बन सकता है। स्थानीय समुदाय की भागीदारी, प्रशासन की पहल और पर्यटन विभाग के सहयोग से कर्म घोंघा को एक मॉडल इको-टूरिज्म साइट के रूप में विकसित किया जा सकता है, जो न केवल पर्यटकों को आकर्षित करेगा, बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पहचान दोनों को नई दिशा देगा।









You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments