रायपुर: सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट के मामलों को सीबीआई को साैंपने के आदेश दिए हैं। प्रदेश में विगत तीन वर्षों में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ऑनलाइन ठगी के 40 से अधिक गंभीर मामले सामने आए हैं, जिनमें करीब 32 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की पुष्टि हुई है।
इनमें कुछ ऐसे मामले भी शामिल हैं, जिनमें अपराध दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन शिकायत के आधार पर जांच की जा रही है। रायपुर, बिलासपुर, भिलाई और राजनांदगांव जैसे प्रमुख शहरों में बड़ी संख्या में लोग साइबर अपराधियों के निशाने पर आए हैं।
ठग खुद को केंद्रीय एजेंसियों या पुलिस विभाग का अधिकारी बताकर पीड़ितों को फर्जी आरोपों में फंसाने की धमकी देते थे। इसके बाद ‘डिजिटल अरेस्ट’ का भय दिखाकर उनसे बैंक खातों से बड़ी रकम ट्रांसफर कराई जाती थी। साइबर सेल और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में अब तक 35 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। ये आरोपी गुजरात, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्यप्रदेश, दिल्ली और छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से पकड़े गए हैं।
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केस-एक : जज बनकर महिला को डराया, व्यापारी को दिया लालच
राजनांदगांव की 79 वर्षीय शीला सुबाल को आरोपितों ने सीबीआई अधिकारी और जज बनकर वीडियो कॉल के माध्यम से डराया। मनी लांड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी। निर्दोष साबित करने रकम जज के खाते में ट्रांसफर करने को कहा। महिला ने ठगों के बताए गए विभिन्न खातों में 79,69,047 रुपये ट्रांसफर कर दिए।
एक अन्य मामले में ठगों ने फारेक्स व ट्रेडिंग विशेषज्ञ बताकर व्यापारी को फर्जी ऑनलाइन ट्रेडिंग साइट का लिंक भेजा। पहले 15 हजार का छोटा मुनाफा देकर व्यापारी का विश्वास हासिल किया, फिर बड़े मुनाफे का लालच देकर 1,21,53,590 रुपये निवेश के नाम पर जमा कराए। दोनों मामलों में तीन आरापितों को पकड़ा गया है।
तीन माह तक महिला को डिजिटल अरेस्ट में रखा
केस-दो : राजधानी के थाना विधानसभा क्षेत्र की निवासी 63 वर्षीय महिला को ठगों ने खुद को ईडी अधिकारी बताकर मनी लांड्रिंग की जांच में फंसाने का डर दिखाया और तीन महीने तक वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट में रखा। आरोपितों ने दो करोड़ 83 लाख रुपये की ठगी की। पुलिस ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, लखनऊ और देवरिया जिले से पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया है।
ये हैं ठगी के अन्य बड़े मामले
डिजिटल अरेस्ट से बचाव के तरीके
ऐसे मामलों की शिकायत दर्ज कराएं
पुलिस का कहना है कि अधिकांश मामलों में ठग विदेशी कॉल सेंटरों की तरह काम करते हुए इंटरनेट कालिंग और फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करते थे। अधिकारियों का कहना है कि किसी भी संदिग्ध काल या डिजिटल अरेस्ट जैसी धमकियों पर विश्वास न करें और तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं।cybercrime.gov.in पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

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