जगदलपुर: जिले में एक बार फिर समाज को झकझोर देने वाली घटना प्रकाश में आई है। इस घटना ने मां की ममता और मां की छवि को धूमिल किया है। कलयुगी मां अपने नवजात बच्चे को जंगल में फेंक दिया था। लेकिन ‘जाको राखे साइयां मार सके न कोय’ को चरितार्थ करती इस घटना में नवजात सुरक्षित है और उसका मेडिकल कॉलेज अस्पताल डिमरापाल में उपचार चल रहा है।
जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर करपावंड थाना क्षेत्र के ग्राम पाथरी (पार्वतीपुर) से जुड़ी यह घटना एक दिसंबर की है। एक निर्दयी मां ने नवजात लड़के को जंगल में फेक दिया था। सुबह जब गांव का एक लड़का जंगल में लकड़ी बीनने गया था तो उसकी नजर झाड़ियों में रोते बच्चे पर पड़ी। उसने तुरंत गांव लौटकर घटना की जानकारी स्वजन को दी और स्वजन भी कुछ गांव वालों के साथ जंगल में पहुंच गए।
पुलिस को सूचना पहले ही दे दी गई थी, इसलिए थोड़ी ही देर में पुलिस भी घटनास्थल में पहुंच गई। गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मितानिन को भी बुला लिया गया था। मितानिन के साथ पुलिस ने नवजात को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बकावंड लाकर भर्ती कराया। बच्चे का वजन लगभग डेढ़ किलोग्राम था।
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बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार
दो दिन बकावंड अस्पताल में भर्ती रहने के बाद नवजात को बेहतर उपचार और देखरेख के लिए तीन दिसंबर को मेडिकल कॉलेज डिमरापाल लकर भर्ती करा दिया गया है। बताया गया कि बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।
पुलिस बच्चे के मां की तलाश कर रही है, वही आसपास के गावों में भी मुनादी करा दी गई है। आंगनबाड़ियों में दर्ज गर्भवती माताओं की जानकारी भी एकत्र की जा रही है। अभी तक यह करतूत किसकी है यह पता नहीं चल पाया है।
एक महीने पहले भी सामने आयी थी ऐसी घटना
विदित हो कि लगभग एक माह पहले मेडिकल कॉलेज के समीप भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। जहां झाड़ियों में नवजात मिला था हालांकि दो दिन बाद मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान इस नवजात की मौत हो गई थी।

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