रायपुर : राजधानी में आसपास के छोटे शहरों और कस्बों में निर्मित बड़े ब्रांड के नकली उत्पाद धड़ल्ले से सप्लाई हो रहे है। तिल्दा-नेवरा, भाटापारा, दुर्ग, भिलाई, चकरभाटा सहित राजधानी के आसपास नकली सामान बनाये जा रहे हैं। दवाइयां और अन्य खाने-पीने की वस्तुयें भी नकली तैयार की जा रही है। राजधानी और आसपास के शहरों का मार्केट नकली उत्पाद से पटा पड़ा है। शिकायत करने पर स बंधित जगह पर छापेमारी की जाती है, लेकिन वह भी औपचारिकता निभाने के रूप में होती है। आम लोगों के साथ ब्रांडेड कंपनियों के प्रतिनिधियों द्वारा की गई शिकायत के आधार पर जांच के नाम पर खानापूर्ति हो रही हैं। पुलिस भी अभी बेतहाशा बढ़ रहे अपराध को देखे या इन नकली माल बेचने वालो को पकड़े ? जीएसटी चोरी का नया तरीका कारोबारियों ने ढूंढ लिया है। अब वो ब्रांडेड उत्पाद के मिलते जुलते नाम के नकली उत्पाद बनाने वाली कंपनी से सांठगांठ कर सरकार की आंखों में धूल झोंककर करोड़़ों की कमाई कर जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है। नकली उत्पाद को खपाने में नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेशी तस्कर व्यापारियों का हाथ होना बताया जा रहा है। आसपास ब्रांडेड कंपनियों के नकली उत्पाद की फैक्ट्रियां चल रही धड़ल्ले से, स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, ग्राहकों को सीधा जहर दे रहे हैं। अन्य खाने-पीने की नकली वस्तुओं के जद में शहरी और ग्रामीण बाजार फूड एंड ड्रग सेप्टी विभाग को राजनीतिक रसूखदारों और छुटभैया नेताओं के संरक्षण के चलते यह कारोबार फलफूल रहा है । नामीकंपनियों के प्रतिनिधियों की शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं, नकली उत्पाद ने ले लिया कुटीर और गृह उद्योग की तरह चल रहा है जिस पर किसी का नियंत्रण नहीं है।
100 करोड़ से ज्यादा की चपत : नकली उत्पादों से जीडीपी को 100 करोड़ से ज्यादा की चपत - नकली उत्पादों की खरीद-फरो त से बीते साल अर्थव्यवस्था को 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ। 2019-20 में जालसाजी या नकली उत्पाद बनाने-बेचने की घटनाओं में भी 30 फीसदी इजाफा हुआ। एक रिपोर्ट के अनुसार महामारी में नियमित और संगठित आपूर्ति सेवाओं पर असर की वजह से नकली उत्पादों को पांव पसारने का ज्यादा मौका मिला है। सबसे ज्यादा प्रभावित 10 क्षेत्रों में मुद्रा, एफएमसीजी, लाइफस्टाइल और कपड़ा है। नकली उत्पादों ने सिर्फ लग्जरी श्रेणी में ही सेंध नहीं मारी है, बल्कि रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों के बीच भी गहरी पैठ बना ली है। जीरा, सरसों तेल, घी, हेयर ऑयल, साबुन, शैंपु, टूथपेस्ट तथा कास्मेटिक, दवाओं आदि के नकली उत्पाद धड़ल्ले से बिक रहे हैं।
असली नकली की पहचान करना मुश्किल : किसी भी बड़ी कंपनी की पहचान उसका लोगो होता है। ऐसे में अगर आप कोई कंपनी का प्रोडक्ट खरीद रहे हैं तो उस कंपनी के लोगो को ध्यान से देखें। क्योंकि, कोई भी कंपनी अपने लोगो को इस तरह बनाती है जिसे कॉपी करना आसान नहीं होता है। अगर आप कंपनी के लोगो के हर बारीकियों पर ध्यान से देखेंगे तो आपको उस प्रोडक्ट के असलियत के बारे में पता चल जाएगा। आप किसी भी प्रोडक्ट को खरीदने से पहले उस प्रोडक्ट के पैकेजिंग पर जरूर ध्यान दें। क्योंकि, बड़ी कंपनियों अपने पैकेजिंग पर खासा ध्यान रखती हैं। राजधानी सहित समूचे छत्तीसगढ़ में ब्रांडेड कंपनियों के नकली उत्पाद धड़ल्ले से बिक रहे हैं। न सिर्फ नकली प्रोडक्ट बिक रहे बल्कि इन नकली उत्पादों का निर्माण व पैकेजिंग भी छत्तीसगढ़ विभिन्न शहरों में ही हो रहा है। राज्य के खाद्य एवं औषधि व उपभोक्ता संरक्षण विभाग, पुलिस विभाग, जीएसटी विभाग, जीआरपी, आरपीएफ और जिला पुलिस की उदासीनता से खाद्य पदार्थों से लेकर ब्रांडेड कंपनियों के इलेक्ट्रानिक्स, फैब्रिक्स, कास्मेटिक वस्तुओं के नकली उत्पाद राज्य में आसानी बेचे व बनाए जा रहे हैं। जबकि खुलेआम ट्रेनों से और रोड ट्रांसपोर्ट से तस्करी का माल वितरण पूरे प्रदेश व आसपास के राज्यों में भी रायपुर-बिलासपुर-रायगढ़ से नकली तस्करी के सामानों का वितरण सुयोजित ढंग से किया जा रहा है। पुलिस चाहे तो टाटीबंध भनपुरी-गंजपारा प्रभात टाकीज ट्रांसपोर्ट से तस्करी का माला असानी से जब्त किया जा सकता है।
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राज्य के रायपुर, तिल्दा, भाटापारा, चकरभाठा, भिलाई-दुर्ग, रायगढ़, चांपा, धमतरी, बिलासपुर में नकली उत्पाद बनाने के कुटीर उद्योग चल रहे हैं। कई फैक्ट्रियां भी हैं जहां ब्रांडेड कंपनियों के हूबहू प्रोडक्ट तैयार और पैकेजिंग किए जाते हैं। संबंधित विभाग यदाकदा कार्रवाई कर गोदामों में दबिश देती है तब कहीं नकली उत्पाद जब्त होते हैं, लेकिन व्यापारिक संगठनों और राजनीतिक दलों के छुटभैये नेताओं के दबाव में मामले दबा दिए जाते हैं। जिससे नकली उत्पाद बनाने और बेचने वालों के हौसले बुलंद हैं।
नकली व प्रतिबंधित दवाएं भी धड़ल्ले से बिक रही राजधानी में प्रतिबंधित दवाओं का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। विभिन्न अस्पतालों के आसपास ऐसी दवाएं बिना डॉक्टर के पर्चे के बेची जा रही है। हालांकि, रसीद मांगने पर दवाएं नहीं दी जाएंगी। वहीं, यह सब जानते हुए भी प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। ब्रांडेड कंपनियों के नाम से नकली वस्तुओं के उत्पादन और बिक्री करने वालों के खिलाफ पुलिस अब छत्तीसगढ़ तमाम डुप्लीकेट कंपनियों की कुंडली खंगालने का काम शुरू कर दिया है। उसके बावजूद नकली सामानों का कारोबार कम होने का नाम नहीं ले रहा है।देश की नामचीन और बड़ी कंपनियों के नाम पर नकली उत्पाद का राजधानी रायपुर गढ़ बन चुका है। सारे नकली सामान आसपास के इलाके से ही यहाँ लाया जाता है, यहां पर सक्रिय सिंडिकेट बड़ी कंपनियों के उत्पादों के हू-ब-हू नकली उत्पाद तैयार कर प्रदेश भर के बड़े बाजारों से लेकर गांव-कस्बों में इसे सस्ते दाम पर खपाया जा रहा है। दुकानदार जहां मोटे कमीशन के लालच में ये सामान बेच रहे हैं, वहीं नकली से अनजान ग्राहक भी कम कीमत पर सामान पाकर खुश हैं लेकिन अंजान से बेखबर है।

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