कृषि की दुनिया में हर दिन कुछ नए परीक्षण किए जा रहे हैं, जिससे किसान एक पौधे से ही दो फसल की पैदावार ले सकते हैं. जी हां! दरअसल, भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र वाराणसी द्वारा दो पौधों को एक में ग्राफ्ट कर एक ऐसे नए पौधे को तैयार किया गया है, जिससे दो सब्जियों का उत्पादन हो सके. चुकी इस पौधे को आलू और टमाटर दोनों की पैदावार के लिए तैयार किया गया है, इसलिए इसे पोमेटो (पोटेटो और टोमेटो) का नाम दिया गया है.
जिले के नरकटियागंज स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत वैज्ञानिक डॉ.आशुतोष बताते हैं कि, भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र वाराणसी के प्रधान वैज्ञानिक और विभाग अध्यक्ष डॉ.अनंत बहादुर सिंह ने आलू पर टमाटर (काशी अमन वैरायटी) के पौधे को ग्राफ्ट कर एक ही पौधे से दोनों सब्जियों की उपज के लिए एक नया पौधा तैयार किया है. पौधों से सफलतापूर्वक पैदावार होने के बाद अब उन्हें नरकटियागंज स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में भी लाया गया है. यहां ये पौधे वैज्ञानिकों की देखरेख में विकसित किए जा रहे हैं. मजे की बात यह है कि बिहार की मिट्टी और जलवायु में भी ये पौधे खूब विकास कर रहे हैं. महीने से दो महीने में हुई उनकी ग्रोथ इस बात की तरफ इशारा कर रही है कि जनवरी 2026 तक उनसे आलू के साथ टमाटर का भी फलन सफलतापूर्वक हो जाएगा.
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चार किलो टमाटर और डेढ़ किलो तक आलू की उपज
बकौल आशुतोष, परीक्षण के सफल होते ही ये पौधे बड़े स्तर पर किसानों के लिए भी उपलब्ध हो सकेंगे. किसान उन्हें खेत, गमले या घर के पीछे पड़ी खाली जमीन पर लगाकर एक बार में ही दो सब्जियों की पैदावार ले सकते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि हर एक पौधे से एक साथ चार किलो तक टमाटर और डेढ़ किलो तक आलू की पैदावार हो सकती है. वैज्ञानिक इस बात पर रिसर्च कर रहे हैं कि एक बार में दोनों सब्जियों के फलन के बाद अगली बार फलन का गणित क्या होगा. बड़ी बात यह है कि किसान इन्हें कमर्शियल रूप भी दे सकते हैं.
चल रहा है शोध कार्य
बता दें कि ये पौधे कुछ इस हिसाब से ग्राफ्ट किए गए हैं कि इनकी जड़ों से आलू और तनों से टमाटर की पैदावार एक साथ हो सकेगी. एक नियत समय के बाद पौधों का फैलाव रुक जाएगा, लेकिन उनमें फलन की प्रक्रिया होती रहेगी. वर्तमान में शोध का विषय यह है कि एक पौधे से आखिर कितनी बार सब्जियों की पैदावार हो सकती है. साथ ही दोनों सब्जियों के फलन में कितने समय का अंतर होना है. शोध की प्रक्रिया को विस्तार देने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने कुछ पौधे जिले के कुछ बेहद ही प्रोग्रेसिव किसानों को भी दिए हैं. वैज्ञानिकों की सलाह और अपने अनुभव से किसान पौधों के विकास पर कार्य कर रहे हैं.

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