खेती घाटे का सौदा है, इससे परिवार का अच्छी तरह गुजारा होना मुश्किल है, फसलों में लागत ज्यादा लगती है, पैदावार कम होता है, बेहतर जीवन के लिए नौकरी या कारोबार का विकल्प ही बेहतर है'. जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर बड़हलगंज के एक किसान ने लोगों के इस नजरिए को झूठा साबित कर दिया है. वह सब्जियों की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं. लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. खीरे की खेती से उन्होंने 3 महीने में ही 10 लाख की कमाई कर सबको चौंका दिया.
नरहरपुर गांव के रहने वाले किसान अविनाश कुमार मौर्य के प्रयासों से उद्यान विभाग भी प्रभावित है. एमफिल और लॉ ग्रेजुएट होने के बावजूद उन्होंने आधुनिक खेती को ही अपनी कमाई का मुख्य जरिया बनाया. वह अधिवक्ता भी हैं. 23 दिसंबर को उन्हें लखनऊ में सीएम योगी के हाथों सम्मान मिलने वाला है. आइए जानते हैं उनके इस सफर के बारे में....
नौकरियों का ऑफर ठुकराया, खेती को दिया महत्व : नरहरपुर गांव के रहने वाले अविनाश के पिता कृष्ण मुरारी मौर्य भी काफी पढ़े-लिखे हैं. साल 1981 में उन्होंने गणित से एमएससी किया था. इसके बाद खेती से जुड़ गए. लघु उद्योग भी किया. अविनाश ने ईटीवी भारत को बताया कि उच्च शिक्षित होने के बाद उन्हें नौकरियों के कई ऑफर मिले, लेकिन उन्होंने खेती को चुना. वह गोरखपुर के सिविल कोर्ट में वकालत भी करते हैं, इसके बावजूद खेती ही उनकी आमदनी का मुख्य माध्यम है.
35 एकड़ के खेत में उगाते हैं सब्जियां : किसान ने बताया कि वह साल 2017 से खेती से जुड़े हैं. शुरू में उन्हें कुछ नुकसान उठाना पड़ा. इसके बाद उन्होंने उद्यान विभाग के अफसरों से परामर्श लिया. खेती को बढ़ाने में कई योजनाओं का सहारा लिया. वह परंपरागत गेहूं, चावल की पैदावार नहीं करते हैं. वह अपने 35 एकड़ के खेत में बींस, टमाटर, लौकी, बैंगन, कद्दू, मूली, गोभी, सरपुतिया, भिंडी समेत कई सब्जियों को उगाते हैं.
खीरा लगाकर 3 महीने में कमाए 10 लाख : उन्होंने बताया कि हाल ही में उन्होंने केवल एक एकड़ खेत में खीरा लगाया था. इसके उत्पादन से उन्हें महज 3 महीने में ही करीब 10 लाख रुपये की कमाई हो चुकी है. सब्जियों की खेती से उनका सालाना टर्नओवर लगभग 35 से 40 लाख रुपये तक पहुंच चुका है. हालांकि यह काफी हद तक बाजार भाव और उत्पादन पर निर्भर करता है. मेहनत और लगन से की गई खेती निश्चित मुनाफा दिलाती है.
इलाके के 25 लोगों को दिया रोजगार : अविनाश उद्यान विभाग की गोष्ठियों में भी शामिल होते हैं. किसानों को जागरूक भी करते हैं. वह विपरीत मौसम और परिस्थितियों में बेमौसमी फसलों को भी उगाते हैं. किसान के अनुसार वह 12 से अधिक सब्जियों की खेती करते हैं. खेती से कमाई होने लगी तो उन्होंने करीब 25 लोगों को गांव में ही अपने यहां रोजगार भी दिया. वह उन्हें 15 हजार रुपये तक हर महीने सैलरी भी देते हैं.
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सीएम योगी लखनऊ में करेंगे सम्मानित : किसान ने बताया कि उनके खेत पर काम करने वाले सब्जियों के उत्पादन से लेकर उनकी कटिंग, तोड़ाई और पैकिंग में मदद करते हैं. उद्यान राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह भी कई बार उनका हौसला बढ़ा चुके हैं. उन्होंने खुद कड़ी मेहनत कर किसानों के सामने उदाहरण पेश किया तो इसकी जानकारी सीएम योगी तक पहुंच गई. यही वजह है कि आगामी 23 दिसंबर को चौधरी चरण सिंह की जयंती पर लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ अविनाश को सम्मानित करेंगे.
खेत से ही बिक जाती हैं सब्जियां : अविनाश ने बताया कि दुकानदार उनके खेत से ही आकर सब्जियों को उठा ले जाते हैं. उन्हें बाजार तक भी जाने की जरूरत नहीं पड़ती है. मैंने जो भी पढ़ाई की, उसमें टॉपर था. नौकरी भी मिल रही थी, लेकिन खेती की ओर रुझान था. किसानों की बदहाली, आत्महत्या, कर्ज, भूखमरी जैसी समस्याएं उन्हें अंदर से झकझोरती थीं. इजरायल, अमेरिका, चीन, जापान जैसे देश खेती में आगे कैसे हैं, ऐसे कई सवालों ने खेती में नए प्रयोग के लिए उत्साहित किया.
उद्यान विभाग की योजनाओं ने दी राहत : अविनाश ने बताया कि 'वह परंपरागत खेती से हटकर हरी सब्जियों की खेती करते हैं. बींस और खीरे से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है. इलाके में दोनों की कम पैदावार है. इसकी वजह से बाजार में इनकी अच्छी कीमत मिलती है. वह खेत में गोबर की खाद के साथ रासायनिक खाद भी डालते हैं. उद्यान विभाग की कई योजनाओं का किसान लाभ उठा सकते हैं. ट्यूबवेल लगाने पर सिंचाई के लिए मुफ्त में बिजली मिलती है'.
छोटे खेत से ही कर सकते हैं नई शुरुआत : किसान का कहना है कि युवा रील और मोबाइल में ज्यादा वक्त बिताते हैं. इस तरह समय को बर्बाद करना ठीक नहीं है. खुद को कमजोर न समझें. नौकरी नहीं मिल रही है तो अपने छोटे से खेत से ही सब्जी आदि उगाकर कमाई कर सकते हैं. कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लें. उन्होंने बताया कि भविष्य में वह ड्रैगन फ्रूट्स, पपीता का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर करने की योजना बना रहे हैं. पाली हाउस भी बनाएंगे.
सही समय पर सही फसल का चुनाव जरूरी : किसान का कहना है कि 'सब्जियों की खेती के लिए सही समय पर सही फसल का चयन करना जरूरी होता है. आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल भी काफी कारगर साबित होता है. वह खुद ड्रिप, स्प्रिंकलर और रेन गन विधि से फसलों की सिंचाई करते हैं. इससे पानी का खर्च कम होता है. इसके लिए उद्यान विभाग से अनुदान भी मिलता है. उद्यान विभाग के अधिकारी खुद खेतों पर पहुंचते हैं. मार्गदर्शन भी देते हैं'.
किसान ने बताया कि अनुभव बढ़ने पर फसल के उत्पादन में खर्च कम होने लगता है. गोरखपुर उद्यान विभाग के जिला उद्यान अधिकारी पारस ने बताया कि अविनाश को अच्छे बीज उपलब्ध कराने में भी मदद किया जाता है. समय-समय पर विभाग उन्हें परामर्श भी देता है. खेती के उनके तरीकों के जरिए उद्यान विभाग अन्य किसानों को भी जागरूक करता है. किसान के प्रयासों के कारण उन्हें सम्मान भी मिलने जा रहा है.
खेत में काम करने वाले बोले- हम गांव में रोजगार पाकर खुश : अविनाश के खेत में काम करने वाले कई लोगों ने अपने अनुभव साज्ञा किए. सुरेश चौहान ने बताया कि अविनाश के साथ काफी समय से जुड़ा हूं. मुझे 15000 रुपये महीना सैलरी मिलती है. उनसे जुड़कर मेरे घर की आर्थिक स्थिति काफी बेहतर हो गई है. मुझे रोजगार के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ता है.
शांति ने बताया कि मैं अविनाश के साथ साल 2020 से जुड़ी हूं. मुझे 8 हजार रुपये महीने मिलते हैं. खाने के लिए प्रतिदिन सब्जियां भी मुफ्त में मिलती है. मैं सब्जियां को तोड़ने और उसकी पैकिंग का काम करती हूं. परिवार का अच्छे से गुजारा हो रहा है. गुड़िया ने बताया कि मैं बाबू (अविनाश) के साथ साल 2017 से जुड़ी हूं. पहले मेरे पास कोई स्थाई काम नहीं था. इससे आर्थिक तंगी थी. अब स्थिति काफी बेहतर है. कोरोना काल में हमें रोजगार मिला रहा. बीमार होने पर हमारा इलाज भी कराया गया.
बतासी देवी का कहना है कि मैं भी साल 2017 से खेत में हाथ बंटा रही हूं. हमें इसके जरिए गांव में स्थाई रोजगार मिला हुआ है. इसी के सहारे हमारी रोजी-रोटी चल रही है. हमारे जैसे कई अन्य लोग भी हर महीने कमाकर अपने परिवार को पाल रहे हैं.
ऐसे करें सब्जियों की खेती : अविनाश ने बताया कि सब्जियों के उगाने के लिए पहले खेत में ही नर्सरी लगाई जाती है. इसके बाद खेत को अच्छी तरह तैयार कर इन्हें वहां ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है. इसके बाद समय-समय पर इनमें खाद-पानी दिया जाता है. इस विधि से टमाटर, गोभी, बैंगन, तरबूज, खरबूज आदि की खेती की जा सकती है. एरिया के हिसाब से इनकी लागत आती है. सब्जियों को उगाने से पहले मिट्टी की जांच करा लेना चाहिए. समय-समय पर उद्यान विभाग से सलाह भी लेते रहना चाहिए.
अविनाश के परिवार के बारे में जानिए : अविनाश ने बताया कि उनके परिवार में दादा राजदेव मौर्य हैं. वह 95 साल के हैं. वह अपने समय के पहलवान रहे हैं. खेती भी करते रहे हैं. पिता कृष्ण मुरारी मौर्य (65) मौजूदा समय मत्स्य पालन करते हैं. मां राजकुमारी देवी घर संभालती हैं. पत्नी पूजा मौर्य भी हाउस वाइफ हैं. वह खेती में मदद करती हैं. छोटा भाई अभिषेक कुमार मौर्य अमेरिकन कंपनी में चीफ इंजीनियर है. उसकी पत्नी श्रेया भी एक कंपनी में इंजीनियर हैं.

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