भुवनेश्वर/कोरापुट: ओडिशा के मलकानगिरी में एक महिला की सिर कटी लाश मिलने के बाद भारी बवाल और हिंसा सामने आई है। आदिवासी भीड़ ने इलाके में रहने वाले बांग्लादेशी मूल के लोगों के घरों में आग लगा दी। इस घटना के बाद इलाके में इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है। हालात को काबू में करने के लिए पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है। प्रारंभिक जांच में ऐसा माना जा रहा है कि महिला की हत्या जमीन के झगड़े में की गई है। महिला की बिना सिर की लाश मिलने पर इलाके में आदिवासी लोग बेकाबू हो गए। सरकार ने आगजनी की घटना के बाद स्थित को काबू में रखने के लिए अतरिक्त पुलिस फोर्स को मौके के लिए रवाना किया है।
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जानकारी के अनुसार ओडिशा के मलकानगिरी में सोमवार तड़के एक हथियारबंद आदिवासी भीड़ ने बांग्लादेश मूल के लोगों के पूरे गांव को आग लगा दी और निवासियों पर हमला किया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उनके समुदाय की एक लापता महिला का सिर कटा हुआ पाया गया था। प्रशासन ने निषेधाज्ञा जारी की है और शाम 6 बजे से 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं क्योंकि संभावित प्रतिक्रिया को रोकने के लिए जिले में अतिरिक्त बल भेजे गए हैं। कलेक्टर सोमेश उपाध्याय ने बताया मलकानगिरी जिले के 214 गांवों में दो लाख से ज़्यादा बंगाली बोलने वाले परिवार रहते हैं, जो 1970 के दशक तक बांग्लादेश से आकर बस गए थे और जिन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई थी। सूत्रों ने बताया कि आदिवासी हमले की आशंका से लगभग 1,000 निवासियों ने रातों-रात MV-26 बस्ती छोड़ दी।
एमवी-26 बस्ती के कुछ निवासियों ने जमीन विवाद को लेकर पास के राखालगुडा गांव की निवासी लेक पदियामी (51) की हत्या कर दी थी। उसके लापता होने की सूचना के एक दिन बाद 4 दिसंबर को दुदामेट्टा नदी के तट पर उसका सिर कटा शव मिला था। यह मामला ओडिशा की विधानसभा में भी गूंजा। बीजेडी एमएलए प्रताप केशरी देब ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि वह दो गांवों के बीच लंबे समय से चले आ रहे झगड़े को सुलझाने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि आगजनी कानून-व्यवस्था की हालत को दिखाती है। माओवादी इस उथल-पुथल का फायदा उठा सकते हैं। बीजेपी विधायक टंकधर त्रिपाठी ने जवाब दिया कि पहले की बीजेडी सरकार के उलट मोहन चरण माझी सरकार ने जल्दी कार्रवाई की।

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