देश घुसपैठियों के वोट से चलेगा या फिर देश के नागरिकों के वोट से: जेपी नड्डा

देश घुसपैठियों के वोट से चलेगा या फिर देश के नागरिकों के वोट से: जेपी नड्डा

नई दिल्ली :  चुनाव सुधारों पर चर्चा के बहाने विपक्ष जहां वोट चोरी के आरोप लगाकर चुनाव आयोग की निष्पक्षता के साथ एनडीए को मिले जनादेश पर प्रश्न खड़ा करने का प्रयास करता रहा, वहीं सत्ता पक्ष ने पूरी चर्चा में एक-एक आरोप को तथ्यों से काटने की पूरी कोशिश की। लोकसभा के बाद राज्य सभा में भी दस घंटे की चुनाव सुधारों पर चर्चा मंगलवार को नेता सदन जेपी नड्डा द्वारा दिए गए उत्तर के साथ समाप्त हुई।

इसमें उन्होंने तमाम तथ्यों को दोहराते हुए कांग्रेस को सलाह दी कि चुनाव में हार के बाद मतदाताओं को भ्रमित करने की बजाए रास्ता बदलें। कटाक्ष किया कि जिस तरह कमजोर छात्र परीक्षा में असफलता के बहाने ढूंढते हैं, वैसे ही आज फिसड्डी राजनीतिक पार्टी की दृष्टि से चुनावी हार के बहाने ढूंढ रहे हैं। राज्य सभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा में पक्ष-विपक्ष के 57 वक्ताओं के बाद सबसे अंत में सरकार की ओर से नेता प्रतिपक्ष जेपी नड्डा ने चर्चा का उत्तर दिया।

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विपक्ष पर बोला हमला

उन्होंने कहा कि सारा देश लोकतंत्र और एक-एक वोट के महत्व को जानता है, इसलिए लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए चुनाव सुधार के प्रयास किए जाते हैं। विपक्ष को संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा बनाए रखने की सलाह देते हुए कहा कि दुनिया की निगाहों में भी चुनाव आयोग का अपना स्थान है। दशकों तक चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को देखने की जिम्मेदारी एक पार्टी की थी। वह पार्टी लंबे समय तक सत्ता में रही। वह जिम्मेदारी एक पार्टी नहीं, बल्कि एक परिवार के पास थी। तब तो कभी चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर कोई प्रश्न खड़े नहीं किए गए।

उन्होंने कहा कि विपक्ष के कुछ सदस्यों ने कहा कि वह एसआईआर पर चर्चा चाहते थे। प्रश्न यह है कि एसआईआर चुनाव आयोग करता है। उसका संसद में कौन प्रतिनिधि है, जो उसका जवाब दे? नड्डा ने कहा कि एसआईआर के बारे में देश में एक वातावरण बनाने का प्रयास हुआ कि देश में बहुत बड़ी धांधली हो रही है। 1952 से 2004 तक दस बार एसआईआर हुआ, जबकि भाजपा की सरकार सिर्फ एक बार 2002 में थी। उन्होंने कहा कि हम और आप हों या न हों, एसआईआर चुनाव आयोग का अधिकार है, इसलिए एसआईआर चलता रहेगा, प्रजातंत्र चलता रहेगा।

घुसपैठियों का हुआ जिक्र

याद दिलाया कि एक पूर्व चुनाव आयुक्त ने रिटर्निंग ऑफिसर से मतदाता सूची से नाम हटाने का अधिकार ले लिया था। इस कारण मृत, स्थानांतरित और डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम भी नहीं हट सके। अब एसआईआर के माध्यम से वही किया जा रहा है। नेता सदन ने सवाल उठाया कि क्या हम घुसपैठियों को मतदाता सूची में स्थान दें? चुनाव के जो नतीजे आए हैं, वह विपक्ष को तकलीफ दे रहे हैं, लेकिन अपने मतदाताओं में यह भ्रम फैला रहे हैं कि हम चुनाव आयोग की वजह से चुनाव हार रहे हैं। यह पार्टी हित में देशहित के साथ समझौता है।

देश की जिम्मेदारी पार्टी ऐसे मुद्दों को लेकर जनता को गुमराह करना चाहती है। क्या यह देशहित में है? कांग्रेस को आंकड़ों का आईना दिखाते हुए बोले कि आप दशकों से कई राज्यों में नहीं हैं, इसलिए अपनी समस्या को समझने का प्रयास कीजिए।







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