ग्राफ्टेड विधि से तैयार टमाटर के पौधे सामान्य फसलों की तुलना में अधिक मजबूत और स्वस्थ नजर आते हैं. जड़ प्रणाली सशक्त होने के कारण पौधों का विकास तेजी से होता है और उत्पादन क्षमता में भी बढ़ोतरी दर्ज की जाती है.
ग्राफ्टेड टमाटर की खेती में जड़ सड़न और मिट्टी जनित रोगों का खतरा काफी कम हो जाता है. परंपरागत खेती में जहां पौधों के सूखने से नुकसान होता था, वहीं इस तकनीक ने किसानों को बड़ी राहत दी है.इस खेती में पानी की आवश्यकता अपेक्षाकृत कम होती है. साथ ही पौधे मजबूत होने से देखरेख में मजदूरी भी कम लगती है, जिससे कुल लागत घटती है और किसानों का शुद्ध लाभ बढ़ता है.
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ग्राफ्टेड टमाटर की खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि किसान साल में 2 से 3 बार उत्पादन ले सकते हैं. इससे खेत का बेहतर उपयोग होता है और पूरे साल नियमित आमदनी का जरिया बना रहता है.राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को प्रति प्रदर्शन 30 हजार रुपये का अनुदान दिया जा रहा है. जिले में 188 किसानों का चयन कर उन्हें ग्राफ्टेड सब्जी खेती से जोड़ा गया है, जिससे आधुनिक खेती को बढ़ावा मिल रहा है.

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