वन विभाग में हुए 1.37 करोड़ रुपए का घोटाला सुर्खियों में

वन विभाग में हुए 1.37 करोड़ रुपए का घोटाला सुर्खियों में

रायगढ़ :  वन विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हो चुकी हैं। पुराने ढर्रे पर काम करने वाले अफसर मजे से सरकारी राशि का दुरुपयोग कर बचकर निकल जाते हैं। रायगढ़ वनमंडल में हुआ वित्तीय घोटाला विधानसभा तक पहुंच गया लेकिन यहां जांच तक नहीं कर पाए। वन विभाग में हुए 1.37 करोड़ रुपए का घोटाला सुर्खियों में है। लिखित शिकायत के बाद जांच की जानी थी जो अब तक शुरू भी नहीं हुई। वर्तमान में जांच का जिम्मा उप वनमंडल अधिकारी, लैलूंगा एमएल सिदार को मिला है।बताया जा रहा है कि आरडीएफ लाइन कटाई, सफाई, एएनआर, बिगड़े बांस वनों का सुधार, चेकडैम, अग्नि सुरक्षा, मुनारा निर्माण, सौंदर्यीकरण में सामग्री आपूर्ति, मजदूरी भुगतान एवं अन्य व्यय में गड़बड़ी की गई है।

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी -पक्ष -विपक्ष मस्त,छत्तीसगढ़िया पस्त है 

संबंधित कार्यों के भुगतान में फर्जी प्रमाणक, अपात्रों से सांठगांठ कर गंभीर अनियमितता की गई है। मामले की जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी लेकिन वनमंडलाधिकारी ने जांच ही नहीं करवाई। इस गंभीर वित्तीय अनियमितता का मुद्दा भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने ही उठाया। इसके बाद जांच की फाइल बढ़ाई गई लेकिन अंदर ही अंदर लीपापोती शुरू हो गई। मजे की बात यह है कि मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर ने जांच के आदेश 13 दिसंबर 2024 को दिए थे। इसके एक साल बाद जांचकर्ता अधिकारी एमएल सिदार रायगढ़ परिक्षेत्र के वन परिक्षेत्र अधिकारी से दस्तावेज मांगे हैं।

दस्तावेज मिलेंगे तो होगी जांच
हैरानी की बात यह है कि दिसंबर 2024 में हुई शिकायत पर डीएफओ रायगढ़ ने अब तक जांच नहीं करवाई है। मामला दोबारा सुर्खियों में आने के बाद लीपापोती करने के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया गया है। लैलूंगा उप वनमंडलाधिकारी ने मासिक लेखा प्रमाणक, मजदूरों की सूची, कैशबुक, कैम्पा मद के शासकीय खाते की बैंक स्टेटमेंट, मजदूरी भुगतान, बैंक की पावती आदि दस्तावेज मांगे हैं।

 







You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments