रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में साल की अंतिम कैबिनेट बैठक में रायपुर में बहुप्रतिक्षित कमिश्नरेट सिस्टम 23 जनवरी से लागू करने का फैसला लिया गया. कैबिनेट की इस अहम फैसले की जानकारी उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने दी.
बता दें कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राजधानी रायपुर पुलिस आयुक्त (कमिश्नरेट) प्रणाली लागू होने की घोषणा की थी. इस फैसले के अमल करने के साथ ही राजधानी की कानून-व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. जानिए इस प्रणाली में क्या-क्या होगा.
क्या है पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली?
पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम पहले से दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, भोपाल, इंदौर जैसे बड़े महा नगरों में लागू है. इसमें शहर की कमान किसी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को दी जाती है, जो आमतौर पर डीजी, एडीजी या आईजी रैंक के हो सकते हैं. कौन-सा अधिकारी बैठेगा, यह राज्य सरकार तय करती है और यह शहर की जनसंख्या व क्राइम रिकॉर्ड पर निर्भर करता है.
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पुलिस आयुक्त के अधिकार
सीमित होंगे अधिकारकमिश्नर के पास ऐसे कई अधिकार होंगे जो वर्तमान में कलेक्टर या मजिस्ट्रेट के पास होते हैं, जैसे- धारा 144 या कर्फ्यू लगाने का निर्णय, धरना-प्रदर्शन की अनुमति देना, आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई, बड़े सार्वजनिक आयोजनों की अनुमति और जिला बदर और प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का आदेश शामिल है. इससे पुलिस को किसी भी स्थिति में त्वरित निर्णय लेने की शक्ति मिलेगी और कलेक्टर पर निर्भरता खत्म हो जाएगी.
कलेक्टर के सीमित होंगे अधिकार
कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद कलेक्टर के अधिकार भी सीमित हो जाएंगे. वह सिर्फ रेवेन्यू का काम देखेंगे, जबकि अन्य अनुमति संबंधी कार्य कमिश्नर के हाथों में होंगे.
एसपी और आईजी का क्या होगा?
कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद जिले में लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी कमिश्नर के हाथों में होगी. यदि सरकार चाहेगी तो, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग से एसपी (रूरल) की नियुक्ति हो सकती है. अगर पूरा जिला कमिश्नरेट के तहत आता है तो एसपी रैंक के अधिकारियों को डीसीपी बनाया जा सकता है.

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