रायपुर : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपना आधिकारिक बयान जारी किया है। ईडी ने घोटाले में पूर्व मंत्री कवासी लखमा और चैतन्य बघेल की भूमिका को ' पॉलिटिकल एग्जीक्यूटिव ' के रूप में बताया है।
ईडी ने अपने बयान में कहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ रह चुकी सौम्या चौरसिया पूरे शराब घोटाले की मुख्य को-ऑर्डिनेटर थीं। उनके जरिए प्रशासनिक, राजनीतिक और कारोबारी स्तर पर नेटवर्क संचालित किया गया।
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2883 करोड़ रुपये का बताया गया घोटाला
प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक राज्य में शराब नीति के माध्यम से कुल 2883 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। इस मामले में अब तक 382.82 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियों को अटैच किया जा चुका है।ईडी की कार्रवाई के तहत रायपुर स्थित होटल वेलिंगटन कोर्ट समेत ढेबर परिवार और बघेल परिवार से जुड़ी 1000 से अधिक संपत्तियों को अटैच किया गया है। इसमें जमीन, भवन, होटल, फ्लैट और अन्य व्यावसायिक परिसंपत्तियां शामिल हैं।
जांच जारी और खुलासों के संकेत
ईडी ने संकेत दिए हैं कि शराब घोटाले की जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं। एजेंसी का कहना है कि मनीलॉन्ड्रिंग के तहत सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इधर ईडी के इस आधिकारिक बयान के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है, वहीं शराब घोटाले को लेकर सियासी आरोप-प्रत्यारोप भी और तीखे होने की संभावना जताई जा रही है।

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